Swami Vivekananda Biography in Hindi – स्वामी विवेकानंद की जीवनी

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तो आप बिलकुल सही जगह पर आए हैं ,आज की इस पोस्ट में हम आपको “Swami Vivekananda full Biography in Hindi“अर्थात “स्वामी विवेकानंद की सम्पूर्ण जीवनी” बताएंगे।

Table of contents

  • Swami Vivekananda biography in Hindi 
  •  
  • Swami Vivekananda in Hindi thought
  •  
  • Swami Vivekanand Ka Jeevan Parichay in Hindi
  •  
  • Write about Swami Vivekananda in Hindi
  •  
  • Swami Vivekananda | Success Story in Hindi
  •  
  • Swami Vivekananda in Hindi Story
  •  
  • Swami Vivekananda in Hindi Speech
  •  
  • Swami Vivekanand ke bare mein jankari

Swami Vivekananda biography in Hindi

विवेकानंद (Swami Vivekananda) को 1893 में विश्व धर्म संसद (1893 Parliament of the World’s Religions) में उनके भाषण की वजह से वैश्विक ख्याति मिली थी.
Swami Vivekananda Biography in Hindi - स्वामी विवेकानंद की जीवनी
 लेकिन वो 1901 में जापान में आयोजित हुई विश्व धर्म संसद में हिस्सा नहीं ले सके थे.
इसका कारण था उनका गिरता स्वास्थ्य. गोपाल श्रीनिवास बनहती द्वारा विवेकानंद पर लिखी गई चर्चित किताब के मुताबिक उन्हें जीवन के आखिरी समय में अस्थमा, मधुमेह और इनसोम्निया (नींद की बीमारी) (asthma, diabetes and chronic insomnia) जैसी बीमारियों ने जकड़ लिया था.
गिरते स्वास्थ्य के बावजूद विवेकानंद ध्यान, लेखन के अलावा रामकृष्ण मिशन के फैलाव के काम में लगे रहे थे.

Swami Vivekananda in Hindi thought

 ध्यान के लिए जाने से पहले उन्होंने अपने साथियों और शिष्यों को विशेष हिदायत दी थी कि उन्हें बीच में डिस्टर्ब न किया जाए.
 विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में एक कायस्थपरिवार में हुआ था।
उनके बचपन का घर का नाम वीरेश्वर रखा गया, किन्तु उनका औपचारिक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे।

Swami Vivekanand Ka Jeevan Parichay in Hindi

 दुर्गाचरण दत्ता, (नरेंद्र के दादा) संस्कृत और फारसी के विद्वान थे उन्होंने अपने परिवार को 25 की उम्र में छोड़ दिया और एक साधु बन गए।
उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं। 4 जुलाई 1902 को उनकी मृत्यु हुई थी.
विवेकानंद पर लिखी गई राजागोपाल चट्टोपाध्याय की किताब में मौत से पहले बिताए गए विवेकानंद के घंटों के बारे में लिखा गया है.
किताब के मुताबिक विवेकानंद अपने आखिरी दिनों में बेलूर मठ में ही रहने लगे थे.

Write about Swami Vivekananda in Hindi

 मृत्यु वाले दिन भी विवेकानंद प्रतिदिन की तरह प्रात:काल में उठे थे. उठने के बाद उन्होंने दिन की शुरुआत तीन घंटे तक ध्यान करने से की थी.
ध्यान करने के बाद उन्होंने मठ में मौजूद छात्रों को शुक्ल यजुर्वेद और योग के सिद्धांत पढ़ाए थे.
Swami Vivekananda Biography in Hindi - स्वामी विवेकानंद की जीवनी
 दिन में उन्होंने अपने साथियों के साथ बेलूर मठ में ही एक वैदिक कॉलेज खोलने को लेकर बातचीत की. दरअसल बेलूर मठ में वैदिक कॉलेज खोले जाने की प्लानिंग पहले से चल रही थी.

Swami Vivekananda | Success Story in Hindi

उस दिन भी विवेकानंद ने इसे ही लेकर साथियों से चर्चा की थी.चट्टोपाध्याय की किताब के मुताबिक शाम के करीब सात बजे विवेकानंद एक बार फिर ध्यान के लिए चले गए.
 ध्यान के लिए जाने से पहले उन्होंने अपने साथियों और शिष्यों को विशेष हिदायत दी थी कि उन्हें बीच में डिस्टर्ब न किया जाए.
 विवेकानंद पर ही लिखी के.एस भारती की एक अन्य किताब के मुताबिक विवेकानंद ने शिष्यों से कहा था कि ध्यान के दौरान मुझे किसी तरह का कोई कोलाहल नहीं चाहिए.
 किताब के मुताबिक रात के करीब 9:20 पर विवेकानंद की मौत ध्यान के दौरान ही हुई थी. उनके शिष्यों के मुताबिक दरअसल विवेकानंद ने महासमाधि ली थी.
विवेकानंद की जिंदगी पर लिखी गई स्वामी विराजनंद की किताब के मुताबिक उनकी मौत मस्तिष्क की नस फटने के कारण हुई थी.

Swami Vivekanand ke bare mein jankari

उनके शिष्यों के मुताबिक विवेकानंद की मृत्यु ब्रह्मरंध्र की वजह से हुई. विवेकानंद की मृत्यु के साथ ही उनकी वह भविष्यवाणी सत्य साबित हुई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि वो 40 साल से ज्यादा की उम्र तक नहीं जिएंगे.
Swami Vivekananda Biography in Hindi - स्वामी विवेकानंद की जीवनी
 मृत्यु के बाद उनका दाह संस्कार बेलूर में ही उसी गंगा घाट पर किया गया जहां 16 साल पहले उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का किया गया था.

Swami Vivekananda in Hindi Story

विवेकानंद की मृत्यु को लेकर आम लोगों के बीच अक्सर बातचीत की जाती है. कहा जाता है कि उनकी मौत बीमारी की वजह से हुई या अत्यधिक ध्यान की वजह से.
 उनके शिष्य पूरे जीवन ये मानते रहे कि विवेकानंद ने बीमारी नहीं बल्कि ध्यान की अंतिम पड़ाव की वजह से शरीर छोड़ा.
 हालांकि बीमारियों की वजह से विवेकानंद का चलना-फिरना कम हो गया था इसके भी कई प्रमाण हैं.
1901 की धर्म संसद में हिस्सा न लेना भी इससे ही जुड़ा हुआ.
यह एक तथ्य है ,इसलिए को अग्रसारित कर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करें ताकि लोगों को सनातन धर्म के एक ऐसे योद्धा के बारे में पता चल सके।
 जिसमें सनातन धर्म के लिए अपने समस्त जीवन को बलिवेदी पर चढ़ा दिया और पूरे विश्व में सनातन धर्म का ध्वज फहराया ।
हम आशा करते हैं कि आपको हमारी आज की पोस्ट “Swami Vivekananda Biography in Hindi” यानी “स्वामी विवेकानंद की जीवनी” पसंद आई होगी।
आपका *अश्वनी कुमार श्रीवास्तव व्हाट्सएप नंबर 9451192704

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